सभी दलित भाइयों को जै भीम 🐘🐘🐘
भाइयों कुछ दिन पहले मैंने आपको महान और साहसी दलित बालक हरी पुत्तन दास के बारे में बताया कि किस प्रकार उसने बहुत साहस के साथ बलदेव मोर्ट पांडे जैसे दुष्ट मनुवादी से चमत्कारी भीम पत्थर की रक्षा की ।
आज मैं आपको आगे की शौर्य गाथा बताउंगी
जिसका नाम है- 'हरी पुत्तन और मनुवादियों का रहस्मयी तहखाना'
बाबा साहेब चमत्कारी प्राथमिक स्कूल में पहले सेमेस्टर छुट्टियां ख़त्म हो गई। हरी पुत्तन स्कूल पहुंचा तो स्कूल में बलदेव मोर्ट पांडे का खौफ चारो तरफ फैला हुआ था।
बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सभी का आधार कार्ड बनवाना अनिवार्य कर दिया गया। बच्चों के मन से डर भगाने के लिए हेडमास्टर दयानंद डोर हर दूसरे दिन सभी छात्रों से 'भीम के मन की बात' करते थे।
स्कूल के चारो तरफ दिन रात 'भीमभक्षी' घुमते रहते थे। 'भीमभक्षी' एक बहुत ही खतरनाक मनुपिशाच था जो स्कूल के दलित बच्चों का सारा आरक्षणोबल चूस कर उन्हें अधमरा कर देता था।
भीमभक्षी से बचने का एक ही मन्त्र था 'भीमदेव संरक्षनम'
'भीमदेव संरक्षणम' मन्त्र का जाप करते ही एक दिव्य पुरुष प्रकट होते जिनके चारो ओर से तेज नीली रौशनी निकलती और उस रौशनी से सारे भीमभक्षी नष्ट हो जाते थे।
स्कूल में अफवाह फैलने लगी यहाँ कोई नहीं चाहता कि दलित चमत्कार सीखें।
हरी पुत्तन, रौनक बिज्जल और हरीमाई मंडल ने इसका पता लगाने का निश्चय किया।
वो तीनो भीमस्तकालय पहुंचे.. वहां उन्होंने नीली डायरी खोली तो नीली डायरी से असीम नीली रौशनी निकली। वो रौशनी डायरी से निकल कर स्कूल के बेसमेंट की ओर चल पड़ी और उसके पीछे पीछे हरी पुत्तन अपने दोस्तों के साथ चल पड़ा।
बेसमेंट के एक कमरे में पहुँच कर नीली रौशनी गायब हो गई। वो तीनो भी उसी कमरे में पहुंचे।
हरी पुत्तन और उसके दोस्त आगे बढ़ते गए चलते चलते कई दिन बीत गए लेकिन कमरा ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहा था । तीनो का नाम 'दलित बुक और वर्ल्ड रिकॉर्ड' में दर्ज हो गया।
जब कमरा ख़त्म हुआ तो बाहर निकल कर उन्होंने खुद को एक रेगिस्तान में चमचमाते हुए 3 'भीमामिड' के सामने खड़े पाया। तीनो भुचक्के रह गए भीमामिड देख कर। तीनो उसके पास पहुंचे तो वहां पर उन्हें सफ़ेद शिफॉन साडी में लहराती एक आत्मा मिली।
रौनक बिज्जल ने पूछा - 'कौन हो तुम और ये जगह कौन सी है?
आत्मा ने कहा- मैं हूँ मायूस मीणा Post too long. Click here to view the full text.