सभी दलित भाइयों को जै भीम 🐘🐘🐘
भाइयों, पुरातन काल में दलितों के शौर्य की इतनी गाथाएं है कि महाभारत भी उसके सामने छोटा पड़ जाए।
आज मैं आपको एक ऐसी ही दलित शौर्य गाथा सुनाऊँगी कि कैसे तीन दलित बच्चों हरी पुत्तन दास, रौनक बिज्जल महतो और हरीमाई मंडल ने एक सनकी और दुष्ट जादूगर ब्राह्मण बलदेव मोर्ट पाण्डेय के काले जादू का सामना किया और उसका संहार किया।
आज मैं आपको पहला अध्याय बताने जा रही जिसका नाम है - 'हरी पुत्तन दास और चमत्कारी भीम पत्थर'
बात उन दिनों की है जब 'बाबा साहेब चमत्कारी प्राथमिक स्कूल' में दलित और सवर्ण सब साथ साथ चमत्कार सीखते थे। उस स्कूल में पढता था एक ब्राह्मण छात्र बलदेव मोर्ट पाण्डेय।
बलदेव मोर्ट पांडे , स्कूल की एक छात्रा लीलावती से प्यार करता था लेकिन लीलावती एक दलित युवा जमुना पुत्तन दास से प्यार करती थी। एक तूफानी रात में दोनों के बीच जै भीम हो गया। जै भीम के रिजल्ट में पैदा हुआ हरी पुत्तन दास। उसी वक़्त बलदेव मोर्ट पांडे के घर भविष्यवाणी हुई कि लीलावती और जमुना पुत्तन का बेटा हरी पुत्तन तेरा संहार करेगा और इस भिमाण्ड पर मूलनिवासियों का राज स्थापित करेगा।
ये सुन कर बलदेव मोर्ट पांडे क्रोध में आ गया और अपनी आम के पेड़ की लड़की से बनी चमत्कारी छड़ी 'मनुस्टिक' से हरी पुत्तन दास का वध करने के लिए मन्त्र पढ़ा - 'दलित संहारम'
लेकिन हरी पुत्तन के माँ बाप बीच में आ गए और हरी पुत्तन बच गया। लेकिन मन्त्र की शक्ति से उसके माथे पर कभी ना मिटने वाला 'भीमैटू' गुद गया।
इतने शक्तिशाली मन्त्र के वार से भी हरी पुत्तन के बच जाने से बलदेव मोर्ट पांडे डर गया और उसने अमर होने के लिए अपनी चुटिया को 7 भाग में काटा (ध्यान से पढ़ना उसने अपना चुटिया काटा) और 7 जगहों पर छुपा दिया ताकि कोई उसे खोज कर नष्ट नहीं कर सके।
वो 7 जगह थे - दलित प्रेरणा स्थल(नोएडा), कांशीराम पार्क(लखनऊ), हाथी चौक(मुजफ्फरपुर), नीली डायरी के पेज नंबर 420 के पैरा नंबर 2880 के शब्द नंबर 6754217 , एलिफिन्सटन सिनेमा हॉल (पटना) भीम वृक्ष के नीचे, और एलिफेंटा के गुफा में ।
लेकिन चुटिया को 7 भाग में काटते ही बलदेव मोर्ट पाण्डेय का मनुशक्ति क्षीण हो गई।
इधर आरक्षण के तहत हरी पुत्तन को चमत्कारी स्कूल में एडमिशन मिल गया । वहां उसकी दोस्ती हुई रौनक बिज्जल महतो और हरीमाई मंडल से। तीनों को एक ही क्लास भीमद्वार में एडमिशन मिला जबकि बलदेव पांडे के फूफा के बेटे लल्लन मेल्फॉय शुक्ला को मनुशक्ति में एडमिशन मिला।
हरी पुत्तन पूरे स्कूल में अपने भीटैटू के कारण प्रसिद्द था। लेकिन लल्लन मेल्फॉय शुक्ला से उसकी नहीं बनती थी। हरी पुत्तन के पास भीमवृक्ष की टहनी से बनी चमत्कारी छड़ी थी 'भीमस्टिक'।
एक दिन 'उड़ता भीम' खेलते वक़्त लल्लन मेल्फॉय शुक्ला की आँखे एक नीली रौशनी से चुंधिया गई। वो रौशनी एक भीमपर्वत से आ रही थी। वो जब वहां पहुंचा तो ये देख भुचक्का रह गया कि एक छोटे से पत्थर से असीम नीली रौशनी निकल रही है। उसने पत्थर उठाने की कोशिश की लेकिन वो पत्थर के पास भी नहीं जा पाया।
वो भागा भागा भीमस्तकालय आया । वहां उसने नीली डायरी खोली तो वहां उसे चमत्कारी भीम पत्थर के बारे में पता चला जिसे हासिल कर के कोई भी समस्त भिमाण्ड का महाभीमंडलेश्वर बन सकता था।
उसने ये बात अपने फुफेरे भाई बलदेव पांडे को उसके बारे में बताया। बलदेव उसे हासिल करने के लिए स्कूल में दलित का भेष बदल कर आया।
स्कूल के प्रिंसिपल दयानंद डोर ने सिक्योरिटी चेक करने के लिए उससे पूछा- बोलो जै भीम
बलदेव- जै भीम
दयानंद डोर- बोलो बाबा साहेब चमत्कारी विद्यालय ज़िंदाबाद
बलदेव - बाबा साहेब चमत्कारी विद्यालय ज़िंदाबाद
दयानंद डोर- बोलो मनुवाद मुर्दाबाद
ये सुनकर बलदेव का खून खौल गया, वो चिल्लाया- "दयानंद ! तुम्हारा बाबा साहेब चमत्कारी विद्यालय जिन्दाबाद रहे इससे हमें कोई दिक्कत नहीं है लेकिन हमारा मनुवाद ज़िंदाबाद था .. ज़िंदाबाद है .. और ज़िंदाबाद रहेगा" !
इतना कहते हुए उसने एक हाथ से स्कूल का गेट उखाड़ दिया।
तभी हरी पुत्तन वो चमत्कारी भीम पत्थर ले आया। उसकी नीली रौशनी से बलदेव की आँखे चुंधिया गई और अपने असली रूप आ गया और दयानंद डोर के डर से भाग गया ।
इस प्रकार हरी पुत्तन ने एक मनुवादी से चमत्कारी भीम पत्थर की रक्षा की।
लेकिन मनुवादी जे के रॉलिंग ने हमारी शौर्य गाथा से प्रेरित हो कर हैरी पॉटर लिखा और सारे पात्र बदल दिए। भिमाण्ड के सामने हमारे शौर्य की कहानी आने ही नहीं दी।
चढ़ वोल्डमोर्ट पांडे की छाती पर!
बटन दबाओ हाथी पर !!
जै भीम ! जै रिजर्वेशन !!